उन्नीसवीं शताब्दी में बहाई धर्म के प्रारम्भ से, बढ़ती हुई संख्या में लोगों ने बहाउल्लाह की शिक्षाओं में एक बेहतर दुनिया का अकाटय प्रतिमान देखा है। कई लोगों ने इन शिक्षाओं से अन्तर्दृष्टियां प्रापत की हैं – मानव मात्र की एकता, स्त्री-पुरुष की समानता, पूर्वाग्रह का त्याग, विज्ञान व धर्म में सामंजस्य - और उन्हें अपने जीवन ओर कार्य में लागू किया है।
बहाई ये मानते हैं कि, मानव मात्र की एकता के सिद्धांत से प्रेरित होकर, भौतिक तथा आध्यात्मिक सामंजस्य के साथ विश्व सभ्यता के विकास के लिये उच्च विचार रखने वाले अनन्त व्यक्तियों, समूहों और संघटनों का योगदान आने वाली कई पीढि़यों के लिये आवश्यक होगा। आज इस अभियान में बहाई समुदाय के प्रयास का सम्पूर्ण विश्व में, विभिन्न जगह पर अनुसरण हो रहा है और यह सबके लिये उन्मुक्त हैं।
बहाई प्रयत्नों के केन्द्र में, समुदाय निर्माण की एक लम्बी प्रकिया है, जिसमें जीवन तथा सामाजिक ढांचों के ऐसे प्रतिमान विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं, जो मानव मात्र की एकता पर आधारित हो। इन प्रयत्नों का एक घटक शैक्षणिक प्रक्रिया है, जो जैविक रूप से विश्व में चारों ओर, ग्रामीण तथा शहरी स्थानों में विकसित हुई है। बच्चों, किशोरों तथा वयस्कों के लिये ऐसे अवसर उत्पन्न किये जाते हैं जिसमें वे आध्यात्मिक अवधारणाओं की छानबीन करें और उनको अपने स्वयं के सामाजिक परिवेश में लागू करने की उन्हें क्षमता प्राप्त हो। इसमें अपना योगदान देने के लिये, किसी नस्ल, लिंग या मजहब पर ध्यान दिये बिना, प्रत्येक आत्मा को आमंत्रित किया गया है। जब हजारों हजार इसमें प्रतिभागिता निभाते हैं वे विज्ञान तथा विश्व की आध्यात्मिक विरासत दोनों से अन्तर्दृष्टि पाते हैं, और नये ज्ञान के विकास में योगदान देते हैं। समय के साथ, विश्व में चारों ओर, विविध परिवेशों में, सेवा करने की क्षमता उत्पन्न की जाती है और यह समाज की बेहतरी के लिये व्यक्तिगत पहल और बढ़ती हुई जटिल सामूहिक क्रिया को विकसित करता है। व्यक्तिगत रूपान्तरण और समुदाय का रूपान्तरण साथ-साथ प्रकट होते हैं।
कुछ समुदायों में, बहाई उपासना मंदिर उभर के आये हैं, जहाँ सभी प्रार्थना कर सकते हैं और आध्यात्मिक वास्तविकता तथा जीवन के आधारभूत प्रश्नों पर चिंतन कर सकते हैं। ये पावन संरचनाएं, विश्व में 10 समुदायों में हैं तथा, और अधिक का विकास हो रहा है। बहाई मंदिर जीवन के दो अभिन्न पहलुओं का समागम करते हैं: उपासना तथा सेवा। यह मिलन समुदाय निर्माण की दीर्घकालीन प्रक्रिया में झलकता है, जैसा कि विश्व न्याय मंदिर ने लिखा है , “भक्तिपरक चेतना के तेजी से होते विकास में, जिसकी अभिव्यक्ति प्रार्थना सभाओं और उस शैक्षणिक प्रक्रिया के माध्यम से होती है जिससे मानवजाति की सेवा के लिए क्षमता का निर्माण होता है।”
तृणमूल स्तर पर समुदाय निर्माण सीखने के प्रयत्नों से आगे, बहाई विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं में संलग्न रहते हैं, जिनके द्वारा उन प्रयासों में आध्यात्मिक सिद्धांत लागू करने का प्रयत्न करते हैं जिनसे विभिन्न परिवेशों में भौतिक सिद्धांत उन्नति को आगे बढ़ाया जाये।
वर्तमान समय में जो गतिविधियां हैं वे गाँवों से लेकर पड़ोसी क्षेत्रों में चलायी जा रही हैं और क्षेत्र तथा देश के दायरों में अनेक चुनौतियों का सामना कर रही हैं, इन चुनौतियों में शामिल हैं स्कूलपूर्व की शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय तक की शिक्षा के दौरान आने वाली चुनौतियां, साक्षरता, स्वास्थ्य, पर्यावरण, शरणार्थियों को सहारा, महिलाओं का उत्थान, किशोर सशक्तिकरण, नस्लीय पूर्वाग्रहों का विलोपन, कृषि, स्थानीय अर्थ-व्यवस्था तथा ग्राम-विकास।
विश्व न्याय मंदिर
विविध अवसरों पर, बहाई संस्थाएं और एजन्सियां, साथ ही व्यक्ति, ये सभी उनके समाजों के, विभिन्न अवसरों पर, शैक्षणिक व व्यवसायिक, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रचलित संभाषणों में, समाज के विकास में योगदान देने के लिये भाग लेते हैं। ये योगदान बहाउल्लाह के प्रकटीकरण के अध्ययन से प्राप्त अंतर्दृष्टियों को सुस्पष्ट करते हैं और वैश्विक बहाई समुदाय के अनुभवों से अग्रसर होते हैं। राष्ट्रिय स्तर पर समुदाय अर्थपूर्ण परिसंवादों में योगदान देते हैं, जैसे कि स्त्री-पुरुष की समानता, प्रवसन एवं एकीकरण, सामाजिक रूपांतरण में युवाओं की भूमिका और धार्मिक सह-अस्तित्व आदि। और विश्व न्याय मंदिर ने लिखा है, “सभी आयुवर्ग और पृष्ठभूमियों के धर्मानुयायी जहां कहीं भी रहते, काम करते, या अध्ययन करते हैं, वे अपने आस-पास के लोगों का ध्यान बहाउल्लाह के विराट ‘प्रकटीकरण’ से रूपायित एक आदर्श परिप्रेक्ष्य की ओर आकर्षित करते हुए, विशिष्ट परिसंवादों में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं।”
जब वे ये कार्य करते हैं तो बहाई सचेत होते हैं कि उच्च आदर्शों का समर्थन और उनको साकार करना एक जैसा नहीं है। बहाई समुदाय यह समझता है कि जब वह दूसरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर एकता तथा न्याय के लिये कार्य करता है तो आगे कई चुनौतियां हैं। वह क्रिया के द्वारा लम्बी अवधि की सीखने की प्रक्रिया को समर्पित है, इस दृढ़ विश्वास के साथ कि समाज में धर्म को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है और उसमें व्यक्तियों, समुदायों और संस्थाओं की संभावनाओं को उजागर करने की बेजोड़ शक्ति है।